Straight from the Heart

Nov 20, 20201 min

ब्रह्मपुत्र की बात क्या करूं...

सीमा पुरकायस्थ रॉय

ब्रह्मपुत्र की बात क्या करूं, ब्रह्मपुत्र उदास है,
 
वह झूम रहा है खुद से और बदहवास है
 
ना अब वो रंग रूप है, ना वो मिठास है,
 
बांधों के जाल में कहीं, नहरो के जाल में,
 
सिर पीट-पीट रो रहा, शहरों के जाल में
 
नाले सता रहे है, पतनाले सता रहे है
 
खा खा के पान थूकने वाले सता रहे है।

असहाय है, लाचार है, मजबूर है ब्रह्मपुत्र,
 
अब हैसियत से अपनी, बहुत दूर है ब्रह्मपुत्र
 
आयI थl बड़े शौक से, ये घर को छोड़कर,
 
ब्रह्मपुत्र की बात क्या करूं, ब्रह्मपुत्र उदास है,
 
वह झूम रहा है खुद से और बदहवास है
 
मुक्ति का है द्वार, हमेशा खुला है,
 
असम गवाह है कि, यहां सत्य तुला है
 
केवल नद नहीं है, संस्कार है ब्रह्मपुत्र
 
धर्म जाति देश का श्रृंगार है ब्रह्मपुत्र।

ब्रह्मपुत्र की क्या बात करूं, ब्रह्मपुत्र उदास है
 
जो कुछ भी आज हो रहा है ब्रह्मपुत्र के साथ है
 
क्या आप को पता नहीं कि किसका हाथ है
 
देखे तो आज क्या हुआ ब्रह्मपुत्र का हाल है।

रहना मुहाल है इसका, जीना मुहाल है
 
ब्रह्मपुत्र के पास दर्द है, आवाज नहीं है
 
मुँह खोलने का कुल में रिवाज नहीं है
 
ब्रह्मपुत्र नहीं रहेगी यही हाल रहा तो।

कब तक यहां बहेगi यही हाल रहा तो
 
कुछ कीजिए उपाय, प्रदूषण भगाइए,
 
ब्रह्मपुत्र पर आँच आ रहi है
 
ब्रह्मपुत्र बचाइये, ब्रह्मपुत्र बचाइये!

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Seema Purkayastha Roy

is a social worker and

lives in Guwahati

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