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यह कैसी हैप्पी दिवाली है?

रवि कुमार गहतराज



हर तरफ त्योहार का मौसम छाया है,

हर घर प्रकाश से जगमगाया है l

हर चेहरे पर खुशियां छाई है,

हर दिल प्यार से मुस्कुराया है ll


पर कुछ घरों में अब भी अंधेरा है,

कुछ चेहरों में भूखमरी का डेरा  है l

फुटपाथ में,

छोटे से कंबल से खुद को  ढके हुए हैं,

मानो जैसे जिंदगी ने उनसे मुंह फेरा  है ll


कहीं दूर बच्चे कचरे में कुछ ढूंढ  रहे हैं,

खुद के लिए शायद वहां से कुछ उपहार ढूंढ रहे हैं l

न जाने आज कितनों के नजरे सवाली है,

मानो जैसे पूछ रहे  हो,

यह कैसी हैप्पी दिवाली है ?


::x::x::x::


 

Poet Ravi Kr. Gahatraj

studied M.Sc. in Electronics,

currently works at CPWD and

lives in Guwahati


[ Disclaimer: The opinions expressed in our Blog are those of the author(s) / poet(s) and do not

necessarily reflect the opinions of the Publisher. ]

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